विवेकानन्द केन्द्र बीओआरएल चिकित्सालय में दूषित जल से
होने वाले रोग व बचाव पर कार्यशाला आयोजित
बीना। यदि पानी प्रदूषित है, तो उससे कई बीमारियां होने का खतरा रहता है। पानी को हम पहले घरेलू विधियों से उपचार कर शोधित करें और यदि ऐसा न कर पाएं तो क्लोरीन की गोली या फिटकरी के उपयोग से भी हम पानी को पीने योग्य बना सकते है। यदि पानी में कीटाणु और गंदगी है, तो हमें डायरिया, पेट दर्द, उल्टी और पीलिया जैसे रोग हो सकते है, किन्तु यदि थोड़ी सी सजगता बरतंे और पानी को बारिश के दिनांे में उपचार कर साफ करके पीएं तो ऐसे तमाम जल-जनित रोगों पर काबू पाया जा सकता है। यह बात पहले हम स्वयं अपनाएं और फिर ग्रामीणजनों को इसका प्रशिक्षण दें और पूरे क्षेत्र को हम दूषित जल से होने वाले रोगों से बचा सकते हैं।
यह बात विवेकानन्द केन्द्र बीओआरएल चिकित्सालय में शनिवार को दूषित जल जनित रोग और जल को उपचार करने की विधियों पर आयोजित कार्यशाला में बतौर टेªनर व बीओआरएल के अधिकारी डाॅ. बी.बी. सोनी ने आंगनवाडी कार्यकर्ता, आशा कार्यकर्ता व स्वयंसेवी संगठन समन्वय मण्डपम् के कार्यकर्ताओं को एक प्रशिक्षण कार्यशाला में संबोधित करते हुए कही। कार्यशाला के प्रारंभ में विवेकानन्द केन्द्र बीओआरएल चिकित्सालय के चिकित्सा अधीक्षक डाॅ. राजकुमार कयाल ने बताया कि यदि हम अच्छे से लोगों को हाथ धोना सिखा दें और बरसात में पानी में होने वाले कीटाणु और गंदगी को खत्म कर पानी को स्वच्छ बनाने की विधियां व उपयोग आदि लोगों को सीखा दें तो हम संक्रामक बीमारियों पर 50 फीसदी से अधिक नियंत्रण पा सकते हैं। स्वच्छ जल के उपयोग को हमें बढावा देना होगा और बारिश में पानी में होने वाली गंदगी और कीटाणुओं को खत्म करने की विधियां घर-घर जाकर बतानी होगी तभी हम आसपास के क्षेत्र में स्वास्थ्य योजनाओं का सफल क्रियान्वयन कर पाएंगे।
कार्यक्रम में डाॅ. सोनी ने हाथ धोने की विधियों व पानी को शोधित करने की विधियों को विस्तार से बताया उन्हांेने बताया कि पीने के पानी को कम से कम 10 मिनट तक तेज आंच पर खौलाएं और फिर ठण्डा करके साफ बर्तन में रखे और ढकने से पानी को ढांक लें। जब किसी व्यक्ति को दूषित जल के उपयोग से डायरिया या अन्य बीमारी हो तो उसे ओआरएस का घोल नियमित रूप से पिलाने के लिए प्रेरित करें। घोल में खनिजों की मात्रा निश्चित रहे इस पर विशेष रूप से घ्यान दें। वहीं दूषित पानी को उपचार करने के लिए क्लोरीन की गोली का उपयोग करना सिखाएं और क्लोरीन की गंध हानिकारक नहीं है, यह भी लोगों को बताएं। वहीं पानी में दिखने वाली गंदगी को हमें फिटकरी के प्रयोग से भी दूर कर सकते है, साफ कपडे से पानी को छानकर उपयोग में लाया जाए यह भी बताएं। डाॅ. सोनी ने आगे बताया कि यदि हम पूरी शिद्दत से कार्य करें तो लोगों के रहन सहन और जीवन शैली में बदलाव लाया जा सकता है। कार्यशाला का संचालन चिकित्सालय के मेडिको सोशल वर्कर श्री सौरभ मराठे व आभार प्रशासनिक अधिकारी गिरीश कुमार पाल ने व्यक्त किया। कार्यशाला में बीओआरएल के सीएसआर प्रकोष्ठ के अधिकारी श्री हरिओम मिश्रा, समन्वय मण्डपम् के संयोजक श्री सत्यजीत ठाकुर के अलावा बडी संख्या में आंगनवाडी कार्यकर्ता, आशा कार्यकर्ता व समन्वय मण्डपम् सामाजिक संगठन के स्वयंसेवक मौजूद रहे।
प्रेषक
वि के बीओआरएल चिकित्सालय, बीना
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