स्नेह और संवेदना से परिपूर्ण कार्यशैली से मंदिर सा बनेगा चिकित्सालय: हनुमंत राव
स्नेह और संवेदना से परिपूर्ण कार्यशैली से मंदिर सा बनेगा चिकित्सालय: हनुमंत रावचिकित्सालय के अधिकारी व सदस्यों के साथ संवाद बैठक का विवरण
स्थानः सभागार, विवेकानंद केन्द्र बीओआरएल हाॅस्पिटल, दिनांकः 11 अक्टूबर 2017, समयः दोपहर 02ः00 बजे
विवेकानन्द केन्द्र कन्याकुमारी के अखिल भारतीय कोषाध्यक्ष व विवेकानन्द केन्द्र कन्याकुमारी के प्रशासनिक सचिव माननीय हनुमंत राव जी का अक्टूबर माह में मध्यभारत प्रांत में प्रवास हुआ। इस दौरान वे इन्दौर, भोपाल, बीना, सागर व जबलपुर में गणमान्य नागरिक, प्रबुद्व वर्ग व कार्यकर्ताओं के बीच रहे। केन्द्र शाखाओं द्वारा भगिनी निवेदिता सार्दशती समारोह के श्रंखलाबद्व कार्यक्रमों में सहभागी रहे। वहीं दिनांक 11 अक्टूबर को वे प्रातः 11 बजे से अपरान्ह 4 बजे तक विवेकानन्द केन्द्र के प्रकल्प विवेकानन्द केन्द्र बीओआरएल चिकित्सालय में रहे। चिकित्सालय के सभागार में अपरान्ह 2 बजे से एक संवाद बैठक आयोजित की गई जिसमें उन्होने चिकित्सालय के वरिष्ठ चिकित्सक, अधिकारी व अन्य सदस्यों को संबोधित किया। उक्त कार्यक्रम का शुभारंभ तीन ओमकार, मंगलाचरण के साथ हुआ ।
माननीय हनुमंत रावजी का परिचय देते हुये चिकित्सालय के प्रशासनिक अधिकारी श्री गिरीश पाल जी ने बताया कि माननीय हनुमंत रावजी स्वामी रंगानाथन जी से प्रेरणा लेकर केन्द्र में जीवनवृत्ति कार्यकर्ता बने, वर्तमान में आप विवेकानंद केन्द्र, कन्याकुमारी के अखिल भारतीय कोषाध्यक्ष है, माननीय हनुमंत रावजी विवेकानंद भारत परिक्रमा के प्रभारी थे, आपका भारतीय संस्कृति, वेद उपनषिद्, रामकृष्ण परमहंस, स्वामी विवेकानन्द व योग पर गहरा अध्ययन है। वहीं पूर्णकालिक कार्यकर्ताओं के प्रशिक्षण में भी आपकी अहम् भूमिका रहती है।
बैठक को संबोधित करते हुए माननीय हनुमंत रावजी ने बताया कि स्वामी विवेकानंद का ध्यान राष्ट्र के लिये था और राष्ट्र के लिये ध्यान तभी किया जा सकता है जबकि वह निःस्वार्थ भाव से किया जाये । हमारा प्रत्येक कार्य इस प्रकार का होना चाहिये जिससे प्राप्त होने वाला आनंद दूसरों की सुख एवं संतुष्टी में बाधा न बने ।
उन्होंने बताया कि व्यक्ति मशीन नहीं है ये हृदय, आत्मा, प्यार से प्रभावित होता है । कार्य करने की पद्धति जितनी आत्मीय होगी लोग उतनी ही सक्रीयता से जुड़ते हैं । कोई भी कार्य हो, छोटा अथवा बड़ा, पूर्ण रूप से समर्पित होकर निःस्वार्थ भाव से करना चाहिये । संगठन कार्य के समन्वित संतुलन से चलते हैं, न कि मशीन से चलते हैं। हमारा संगठन एक परिवार की भांति है, हमें सभी से अनौपचारिक रूप से भी समय समय पर चर्चा करते रहना चाहिए। ऐसा करने से आत्मीयता बढेंगी और जिसके कारण व्यक्ति का समर्पण बढेगा। हमारा प्रत्येक कार्यकर्ता दिए गए कार्य को केवल ड्यूटी नहीं पूजा के रूप में करे ऐसी प्रेरणा हम उसे दें। हम स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में अग्रणी है, यह कार्य या जाॅब नहीं सेवा है। हम ऐसी व्यवस्था का निर्माण करें जिसमें तनाव न हो। हमारा चिकित्सालय मंदिर सा लगे। हम अपनी कार्यशैली में सृजनात्कता व सौन्दर्यबोध लाएं। हमारे हर कार्य में स्नेह हो, संवेदना हो, ऐसा सब मिलकर प्रयास करें।
बैठक के अंत में चिकित्सा अधीक्षक डाॅ आर. के. कयाल ने आभार व्यक्त करते हुए माननीय हनुमंत रावजी के कथन की सराहना की और कहा कि हमें हर कार्य पूर्ण लगन के साथ करना चाहिये, जिसमें संगठन का सम्पूर्ण विकास निहित है। जिस प्रकार रामसेतु के निर्माण में एक छोटी सी गिलहरी ने पूरी निष्ठा और समर्पण से अपना योगदान दिया, उसी भाव से हमसब मिलकर कार्य करें। यश-कीर्ति की चाह से परे सदैव अनवरत कार्यरत रहे, तभी कर्मयोग के पथ पर हम बढ पाएंगे।
कार्यक्रम में विवेकानन्द केन्द्र कन्याकुमारी के मध्यप्रांत के प्रांत प्रमुख आदरणीय भंवरसिंह, प्रांत संगठक सुश्री रचना जानी के साथ-साथ डाॅ. सुब्रत अधिकारी, डाॅ. दीपाली कयाल, डाॅ. एस.एन. उपाध्याय, डाॅ. आशीष तिवारी एवं डाॅ. मनीषा सिंह राजपूत भी उपस्थित थीं। कार्यक्रम का संचालन मेडिको सौशल वर्कर श्री सौरभ मराठे द्वारा किया गया। उक्त बैठक में अस्पताल के स्टाफ नर्स, टैक्नीशियन व अन्य स्टाफ भी उपस्थित रहे ।
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