विवेकानन्द केन्द्र बीओआरएल चिकित्सालय, बीना
संजीवनी प्रोजेक्ट के तहत सघन पोषण अभियान की बैठक का प्रतिवेदन
2020 तक कुपोषण मुक्त हो बीना ऐसी बनाएं कार्ययोजना - डॉ. कयाल
महिला एवं बाल विकास विभाग के कार्यकर्ताओं की बैठक में कुपोषण मिटाने का लिया संकल्प
विवेकानन्द केन्द्र बीओआरएल चिकित्सालय में आंगनवाडी कार्यकर्ताओं की बैठक सम्पन्न
बीना। विवेकानन्द केन्द्र बीओआरएल चिकित्सालय में दिनांक 05 मई 2018 को संजीवनी प्रोजेक्ट के तहत सघन पोषण अभियान की एक बैठक का आयोजन किया गया। बैठक में महिला एवं बाल विकास विभाग की आंगनवाडी कार्यकर्ता, आशा कार्यकर्ता, पर्यवेक्षक एवं अधिकारीगण, सामाजिक संस्था समन्वय मण्डपम् के पदाधिकारी सहभागी रहे। बैठक में विवेकानन्द केन्द्र बीओआरएल चिकित्सालय के चिकित्सा अधीक्षक डाॅ. राजकुमार कयाल, वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी डाॅ. दीपाली कयाल, महिला एवं बाल विकास विभाग की अधिकारी श्रीमती निशा रतले, समन्वय मण्डपम् के सचिव श्री सत्यजीत ठाकुर चिकित्सालय के प्रशासनिक अधिकारी श्री गिरीश कुमार पाल, मेडिको सोशल वर्कर श्री सौरभ मराठे सहित बडी संख्या में आंगनीबाडी कार्यकर्ता, आशा कार्यकर्ता एवं सुपरवारईजर सहभागी रहे।
बैठक को संबोधित करते हुए विवेकानन्द केन्द्र बीओआरएल चिकित्सालय के चिकित्सा अधीक्षक डाॅ. राजकुमार कयाल ने कहा कि हमने बीना क्षेत्र में कुपोषण को मिटाने के लिए विगत 4 वर्षों में सघन प्रयास किए है। जिसके हमें सकारात्मक परिणाम भी मिले है। उक्त अभियान के द्वितीय चरण में हमें लगातार एक माह तक अभियान चलाया और बडी संख्या में कुपोषित और अतिकुपोषित शिशुओं और बच्चों की जांच और उपचार में सफलता पाई। किन्तु अभी भी कुपोषण मिटा नहीं है। ऐसे में हमें एक बार फिर सघन अभियान और समग्र प्रयासों की जरूरत है। हम फिर से घर घर जाएं और कुपोषित बच्चों की माताओं से संवाद स्थापित करें। उन्हे सिखाएं और समझाएं कि यदि बच्चा कुपोषित रहा तो जीवन में न तो वह आगे तरक्की कर पाएगा और न ही बेहतर स्वास्थ्य पा सकेगा। इसलिए शिशुकाल से ही मां का दूध और 6 माह का होने पर ठोस आहार देना शुरू करे । दो वर्ष तक बच्चे का पूरा ध्यान रखें। हरी सब्जियां, दूध, घी, नारियल का तेल और मूंगफली से बने आहार खिलाएं। बच्चे को हर तीन घण्टे के अंतराल पर कुछ न कुछ खाने को दें। साफ सफाई रखें। गांवो की जो किशोरी बालिकाएं है, उन्हे हम स्वास्थ दूत बनाएं उन्हे प्रेरित करें कि वे कुपोषण को मिटाने के लिए गांव में माताओं के साथ संवाद करें और उन्हे समझाएं। खुद भी निडर होकर जिएं और अपने खान.पान और संस्कार के साथ शिक्षा.दीक्षा पर ध्यान दें। हम अपने अपने क्षेत्र में एक एक आंगनवाडी केन्द्र को आदर्श केन्द्र के रूप में विकसित करें। यदि हम कुपोषण को जड से खत्म करना चाहते हैं, तो हमें केवल आदेश मिलने पर ही नहीं बल्कि खुद की प्रेरणा से समाजहित में बढचढकर सहभाग लेना होगा।
डाॅ. कयाल ने आगे बताया कि हमें गांवों के पुजारियों और धार्मिक गुरूओं की मदद भी इस दिशा में लेनी चाहिए, किस प्रकार भगवान राम को बाल्यकाल में उनकी माता कौशल्या और श्री कृष्ण को उनकी मां यशोदा दौड दौडकर उनका मन बहलाकर खाना खिलाती थी वह बताया जाए। बच्चों को यदि बचपन में एक बार भी कुपोषण ने जकडा तो वे जीवन की हर बडी लडाई में पिछड जाएंगे। इसलिए हम लक्ष्य तय करें कि आने वाले 2020 तक हम अपने क्षेत्र से कुपोषण रूपी राक्षस को पूरी तरह से हरा देंगे।
बैठक में समन्वय मण्डपम् के सचिव श्री सत्यजीत ठाकुर ने कहा कि हम लोगों से लोकल लैंग्वेंज यानि उनकी ही भाषा और बोली में बात करें। बच्चों के बेहतर जीवन के लिए उन्हे बताएं घरों के आस पास हरी सब्जियां उगाने के लिए बोले, गौ पालन के लिए प्रेरित करें और सहजन के पौधे रोपने के लिए लोगों को बताएं। बैठक में आगामी कार्ययोजना तक की गई जिसमें कुछ अतिकुपोषित बच्चों के गांवों में सात सात दिन के वर्ग और आदर्श आंगनवाडी केन्द्र तय कर कार्य किया जाए यह तय किया गया। बैठक में महिला एवं बाल विकास विभाग की अधिकारी श्रीमती निशा रतले ने भी आंगनबाडी कार्यकर्ताओं और सुपरवाइजर को संबोधित किया। सभी आंगनबाडी कार्यकर्ताओं ने अपने अपने क्षेत्र की कुछ समस्याएं भी रखी जिनमें मुख्य रूप से भवनों में विद्युत उपकरणए स्टेशनरीए फर्नीचर आदि की समस्या बताईं।
प्रतिवेदक
गिरीश कुमार पालए
चिकित्सालय प्रशासनिक अधिकारीए
विवेकानन्द केन्द्र बीओआरएल चिकित्सालय बीना
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