जहां नियति ने पहुंचाया वहीं समर्पित भाव से कार्य करेंः डाॅ. कमलेश उपाध्याय
विवेकानन्द केन्द्र के गुजरात प्रांत सह-संचालक डाॅ. कमलेश उपाध्याय ने दिया प्रेरक व्याख्यान
विवेकानन्द केन्द्र की गतिविधियों व कार्यपद्धति में सक्रिय सहभाग का सभी चिकित्सकों से किया आव्हान
बीना। हमारा उदेश्य सेवा के माध्यम से मानव निर्माण का होना चाहिए। हम मनुष्य निर्माण से राष्ट्र का पुनरूत्थान करना चाहते हैं, ये भाव हमारे भीतर सदैव निहित होना चाहिए। सभी का कार्यक्षेत्र प्रारब्ध से मिलता है, नियति ने हमें जहां पहुंचाया है, वहीं हमें समर्पित भाव से कार्य करना चाहिए। मनुष्य में आज बौद्विक संपदा तो बहुत है, किन्तु भावनात्मक रूप से हम पिछड रहे है। ऐसे में हमें नई पीढि के बीच भावनात्मक संबधों का विकास और उनका परिवर्धन कैसे हो इस पर ध्यान देना चाहिए। हम चिकित्सक है, समाज हमें बहुत मान-सम्मान देता है, हमारी बात को लोग एक नजीर के रूप में लेते है। ऐसे में हमारा कर्तव्य है, कि हम विवेकानन्द केन्द्र की कार्यपद्धति में सहभागी हों और लोगों को प्रेरणा दें। यदि हम संस्कार वर्ग, केन्द्र वर्ग में जाएंगे तो वहां के बच्चे और पालक हमारी बातों को ध्यान से सुनेगे और हमारी बात को जीवन में अपनाने का कार्य करेंगे। केन्द्र के संस्कार वर्ग में हम समय निकाल कर अवश्य जहां जो कि मनुष्य निर्माण का एक बेहतर माध्यम है।
यह बात विवेकानन्द केन्द्र कन्याकुमारी के गुजरात प्रांत के सह प्रांत संचालक डाॅ. कमलेश उपाध्याय ने विवेकानन्द केन्द्र बीओआरएल चिकित्सालय में प्रवास के दौरान आयोजित कार्यक्रम में चिकित्सालय परिवार के सदस्यों के बीच कही। कार्यक्रम का शुभारंभ मंगलाचरण से किया गया तत्पश्चात् डाॅ. कमलेश जी उपाध्याय का विस्तृत परिचय व स्वागत भाषण चिकित्सालय के चिकित्सा अधीक्षक डाॅ. सुब्रत अधिकारी ने किया।
डाॅ. कमलेश जी ने आगे कहा कि आज समाज एकल परिवार की संकल्पना की ओर बढ रहा है, जो कि भविष्य के लिए घातक है, हमारा परिवार बडा होना चाहिए। बडे परिवार में बच्चों का सम्पूर्ण विकास होता है। हमारा प्रयास हो कि हमारे बच्चों में राष्ट्र और समाज को आगे लाने का भाव हो और कम से कम एक संतान हमारी राष्ट्रीय जागरण और राष्ट्र के पुनरूत्थान के कार्यों में सक्रिय रहकर योगदान दे हम ऐसे संस्कार संतान को दें। बडे परिवार जहां कुटुम्ब का भाव हो वहां सस्कृति का रक्षण और संवर्धन होता है, ऐसे परिवार में आध्यात्मिक का भाव भी बढता हैै। हमारे भीतर आध्यात्मिकता का भी भाव रहना चाहिए। हर व्यक्ति को अपनी क्षमता से अधिक कार्य करने की आदत विकसित करनी चाहिए। हम क्षमता से ज्यादा कार्य करें और मनुष्य निर्माण की प्रक्रिया और गतिविधियों में सक्रिय सहभाग रखें। उन्होने आगे कहा कि हमारे देश में स्वच्छता को लेकर तेजी से जागरूकता बढ रही है। हमें साफ पानी के उपयोग पर ध्यान देना चाहिए। वहीं बच्चों को रोगों से बचाने के लिए हाथ धोने की वैज्ञानिक विधि का प्रशिक्षण भी देना चाहिए। उन्होने सभी से 10 स्टेप में हाथ धोने का प्रत्याक्षिक (डेमो) भी कराया। वहीं सभी से आग्रह भी किया कि सप्ताह में कम से कम एक दिन सायकल अवश्य चलाएं। अंत में उन्होने कहा कि अपने जीवन को ध्येयपूर्ण जीवन बनाएं यदि ध्येय नहीं है, तो हम सच्चे अर्थों में मनुष्य नहीं हो सकते है। हमें समाज और राष्ट्र के आगे बढने हेतु अपना भी योगदान और स्थान तय करें। इस अवसर पर विवेकानन्द केन्द्र कन्याकुमारी की भोपाल शाखा के सह नगर प्रमुख श्री किशोर जी वालुंजकर ने भी अपने विचार रखे। कार्यकम्र में चिकित्सकों ने भी अपने अपने विचार रखे।
अंत में चिकित्सा अधीक्षक डाॅ. अधिकारी ने अतिथियों का विवेकानन्द साहित्य और स्मृति चिन्ह भेंट कर अभिनंदन किया। अतिथियों का आभार चिकित्सालय के निश्चेतना विषेशज्ञ डाॅ. भूपेन्द्र सिंह ने व्यक्त किया। कार्यक्रम चिकित्सालय के सभी चिकित्सक व अन्य सदस्य उपस्थित रहे।
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