गुरूपूर्णिमा उत्सव
विवेकानन्द केन्द्र बीओआरएल चिकित्सालय में मनाया गया गुरूपूर्णिमा उत्सव
ध्येय मार्ग अभ्यास वर्ग के तहत कार्यकर्ताओं को बताया केन्द्र प्रार्थना का भावार्थ
बीना। यदि हम अपने कार्य को साधना के रूप में मानकर आगे बढते है, तो हमारे हाथ से किया गया हर कार्य श्रेष्ठ होगा और समाज के लिए उपयोगी साबित होगा। यदि हम अहंकार के साथ कार्य करते हैं, अपने ज्ञान और कर्म पर अहंकार करते हैं, तो हमारी साधना का क्षय हो जाता है। यह बात विवेकानन्द केन्द्र कन्याकुमारी मध्य प्रांत की प्रांत संगठक एवं जीवनव्रती कार्यकर्ता सुश्री रचना जानी दीदी ने गुरूपूर्णिमा के अवसर पर विवेकानन्द केन्द्र बीओआरएल चिकित्सालय में आयोजित गुरूपूर्णिमा उत्सव व ध्येय मार्ग अभ्यास वर्ग के दौरान चिकित्सालय के सभी चिकित्सकों व अन्य सदस्यों के समक्ष अपने उद्बोधन के दौरान कही। इस मौके पर चिकित्सालय के चिकित्सा अधीक्षक डाॅ. सुब्रत अधिकारी व अन्य चिकित्सकों ने भी अपने अपने विचार रखे।
सुश्री रचना दीदी ने एक कथा के माध्यम से समझाते हुए आगे कहा कि जिस प्रकार एक साधु की साधना के फल स्वरूप जब वह क्रोधित हुआ तो उसके कारण पेड पर बैठा कौआ जलकर भस्म हो गया और कुछ देर बाद जब वह साधु एक गांव में भिक्षा हेतु पहुंचा तो एक महिला घर में भीतर से आवाज लगाकर बोली मैं अभी थोडी देर से आती हूं, साधु दो बार और बोला तो महिला आई और बोली कि मैं वह कौआ नहीं जो आपके क्रोध से भस्म हो जाउं। यह सुनकर साधु अचंभित रह गया। वह उस महिला से बोला तुम्हे कैसे पता तो वह बोली ये बात तुम मेरे गुरू से पूछो, साधु उसके गुरू के पास पहुंचा जो कि एक व्याध अथातर्् कसाई था और अपने हाथों से पशुओं को काटने का कार्य कर रहा था। यह देख साधु और भी आश्चर्यचकित रह गया। तब उस व्याध ने पूरी घटना का परिचय दिया और कहा कि हम जो भी कार्य करें उसे ईश्वर का आदेश और साधना मानकर करें, उसके फल प्रतिफल पर अहंकार ना करें तो हमारा हर कार्य ईश्वर की पूजा है। तुमने साधना के पश्चात् अहंकार से उस कौए को भस्म किया यह अनुचित था। व्याध द्वारा दिए गए इस ज्ञान को साधु ने आगे चलकर लिखा और उसे ‘व्याध गीता‘ के नाम से जाना गया।
सुश्री दीदी ने आगे बताया कि केन्द्र प्रार्थना की प्रत्येक पंक्ति हर कार्यकर्ता के लिए अमृत है। इसमें ‘वयं सुपुत्रा अमृतस्य नूनं‘ में कहा गया है, कि हम सब अमृत के पुत्र है। हमारे भीतर अनंत शक्तियां है, उनका उपयोग समाज कार्य के लिए करें। केन्द्र प्रार्थना से हमें आध्यात्मिक शक्ति और अपने कर्मक्षेत्र के लिए आवश्यक उर्जा मिलती है। हमें सदैव याद रखना चाहिए कि हमारा जन्म ईश्वरीय हित की पूर्ति के लिए हुआ है। हमारे हाथों सदैव अच्छे कर्म हों इसका प्रयास करें। अंत में सुश्री रचना दीदी ने कहा कि गुरूपूर्णिमा पर हम अपने गुरू का स्मरण कर कर्मशील रहने का संकल्प लें और एक बेहतर समाज के निर्माण में अपना योगदान दें।
कार्यक्रम के प्रारंभ में चिकित्सालय के चिकित्सा अधीक्षक डाॅ. सुब्रत अधिकारी ने कहा कि स्वामी विवेकानन्द हमारे इष्ट है, बचपन से हमने उनकी और उनके गुरू ठाकुर श्री रामकृष्ण परमहंस की पूजा की है। हम सब अपने अपने अहंकार को त्यागकर देश हित में कार्य करें। इस मौके पर चिकित्सालय के शल्यचिकित्सक डाॅ. दीपक प्रधान ने कहा कि हम अपने अपने क्षेत्र में बेहतर योगदान दें और जो गरीब मरीज यहां उपचार के लिए आते हैं, उन्हे अच्छे से अच्छा उपचार प्रदान कराएं।
कार्यक्रम में चिकित्सालय के सभी चिकित्सक, नर्सिंग स्टाफ तथा उन्य सदस्य उपस्थित रहे। कार्यक्रम का समापन शांति पाठ से किया गया।
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